Not known Factual Statements About Shodashi
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सोलह पंखड़ियों के कमल दल पर पद्दासन मुद्रा में बैठी विराजमान षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी मातृ स्वरूपा है तथा सभी पापों और दोषों से मुक्त करती हुई अपने भक्तों तथा साधकों को सोलह कलाओं से पूर्ण करती है, उन्हें पूर्ण सेवा प्रदान करती है। उनके हाथ में माला, अंकुश, धनुष और बाण साधकों को जीवन में सफलता और श्रेष्ठता प्रदान करते हैं। दायें हाथ में अंकुश इस बात को दर्शाता है कि जो व्यक्ति अपने कर्मदोषों से परेशान है, उन सभी कर्मों पर वह पूर्ण नियंत्रण प्राप्त कर उन्नति के पथ पर गतिशील हो और उसे जीवन में श्रेष्ठता, भव्यता, आत्मविश्वास प्राप्त हो। इसके आतिरिक्त शिष्य के जीवन में आने वाली प्रत्येक बाधा, शत्रु, बीमारी, गरीबी, अशक्ता सभी को दूर करने का प्रतीक उनके हाथ में धनुष-बाण है। वास्तव में मां देवी त्रिपुर सुन्दरी साधना पूर्णता प्राप्त करने की साधना है।
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥३॥
हस्ते पङ्केरुहाभे सरससरसिजं बिभ्रती लोकमाता
संहर्त्री सर्वभासां विलयनसमये स्वात्मनि स्वप्रकाशा
Because certainly one of his adversaries had been Shiva himself, the Kama received substantial Shakti. Lacking discrimination, The person began creating tribulations in each of the a few worlds. With Kama having a great deal electricity, and with the Devas facing defeat, they approached Tripura Sundari for enable. Taking over all her weapons, she billed into fight and vanquished him, Therefore preserving the realm of your Gods.
लक्ष्मीशादि-पदैर्युतेन महता मञ्चेन संशोभितं
As one progresses, the second period entails stabilizing this newfound recognition by disciplined methods that harness the head and senses, emphasizing the critical role of Vitality (Shakti) in this transformative procedure.
ఓం శ్రీం హ్రీం క్లీం ఐం సౌ: ఓం హ్రీం శ్రీం క ఎ ఐ ల హ్రీం హ స క హ ల హ్రీం స క ల హ్రీం సౌ: ఐం క్లీం హ్రీం శ్రీం
During the pursuit of spiritual enlightenment, the journey starts Using the awakening of spiritual consciousness. This Original awakening is critical for aspirants who are within the onset in their path, guiding them to acknowledge the divine consciousness that permeates all beings.
कर्तुं मूकमनर्गल-स्रवदित-द्राक्षादि-वाग्-वैभवं
करोड़ों सूर्य ग्रहण तुल्य फलदायक अर्धोदय योग क्या है ?
यस्याः शक्तिप्ररोहादविरलममृतं विन्दते योगिवृन्दं
‘हे देव। जगन्नाथ। सृष्टि, स्थिति, प्रलय के स्वामी। आप परमात्मा हैं। सभी प्राणियों की गति हैं, आप ही सभी लोकों की गति हैं, जगत् के आधार हैं, विश्व के करण हैं, सर्वपूज्य हैं, आपके बिना मेरी कोई गति नहीं है। संसार में परम गुह्रा क्या वास्तु click here है?
Knowledge the importance of those classifications can help devotees to pick out the right mantras for their personalized spiritual journey, ensuring that their practices are in harmony with their aspirations as well as the divine will.